(Vamana Avatar Story in Hindi – A Lesson on Ego and Dharma)
हिंदू धर्म के दस प्रमुख अवतारों में से एक, वामन अवतार न केवल एक चमत्कारी कथा है, बल्कि यह हमें बताता है कि धर्म, विनम्रता और भक्ति कैसे किसी भी अंहकार और शक्ति के सामने विजय प्राप्त कर सकते हैं। यह कहानी बलि जैसे पराक्रमी असुर राजा की है, जो अपनी दानशीलता और तप से महान बन गया, लेकिन धीरे-धीरे अपने अहंकार के कारण देवताओं और स्वयं ब्रह्मांड की व्यवस्था को चुनौती देने लगा।
असुरराज बलि का अभिमान और चरित्र (The Rise and Pride of King Bali)

बलि, प्रह्लाद का पोता और विरोचन का पुत्र था। प्रह्लाद स्वयं भगवान विष्णु के परम भक्त थे, लेकिन बलि को अपने पूर्वजों से अलग बल और राजनीतिक सामर्थ्य की विरासत मिली। बलि ने कठोर तपस्या की, जिससे उसे शक्ति और दिव्यता प्राप्त हुई। गुरु शुक्राचार्य के मार्गदर्शन में बलि ने कई यज्ञ किए और ब्रह्मांड के तीनों लोकों पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया।
बलि न्यायप्रिय, दानी और तपस्वी राजा था, लेकिन जीत और विस्तार की लालसा ने उसमें अहंकार भर दिया। वह स्वयं को सबसे बड़ा राजा समझने लगा, और यहाँ तक कि स्वर्गलोक से देवताओं को पराजित कर निकाल बाहर कर दिया।
देवताओं ने जब त्राहि-त्राहि मचाई, तब इंद्र की माता अदिति ने विष्णु की उपासना की। तब भगवान विष्णु ने वचन दिया कि वे स्वयं वामन रूप में अवतार लेकर धर्म की रक्षा करेंगे।
वामन अवतार का जन्म (The Birth of Vamana)
भगवान विष्णु ने माता अदिति के गर्भ से एक तेजस्वी बाल ब्राह्मण के रूप में जन्म लिया। उनका रूप भले ही बालक जैसा था, लेकिन उनके तेज से सभी देवता और ऋषि चकित हो गए। वे छोटा कद, शांत मुखमंडल, कमंडल, छाता और यज्ञोपवीत धारण किए हुए थे। यही थे वामन देव।
बलि का महायज्ञ और वामन का आगमन (The Grand Yajna and Vamana’s Arrival)
राजा बलि उस समय एक विशाल अश्वमेध यज्ञ कर रहा था। नियम के अनुसार, यज्ञ के दौरान जो भी याचक आता, उसे वांछित वस्तु देने का वचन राजा को निभाना होता था।
उसी यज्ञ स्थल पर वामन देव पहुँचे। उनका तेजस्वी रूप देखकर सभी विस्मित हो गए। बलि ने आदरपूर्वक उन्हें प्रणाम किया और पूछा कि वे क्या चाहते हैं।
वामन ने बड़ी विनम्रता से कहा:
“हे राजन्, मुझे केवल तीन पग भूमि दीजिए जहाँ मैं शांति से खड़ा हो सकूँ।”
बलि मुस्कुराया और बोला, “मैं सम्राट हूँ। तुम मुझसे सोना, हाथी, रथ, राज्य कुछ भी मांग सकते हो। केवल तीन पग भूमि क्यों?”
वामन ने उत्तर दिया:
“जो व्यक्ति तीन पग भूमि से संतुष्ट नहीं हो सकता, वह संसार की किसी वस्तु से संतुष्ट नहीं हो सकता।”
बलि ने हँसते हुए यह दान स्वीकार कर लिया।
शुक्राचार्य की चेतावनी और कमंडल में छिपना (Shukracharya Blocks the Vow)
जब बलि वामन को जल देने के लिए संकल्प लेने लगा, उसके गुरु शुक्राचार्य ने उसे रोका। उन्होंने दिव्य दृष्टि से पहचान लिया कि यह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं, स्वयं भगवान विष्णु हैं, जो छलपूर्वक बलि से सब कुछ छीनने आए हैं।
बलि ने कहा:
“अगर भगवान स्वयं मुझसे याचना करने आए हैं, तो यह मेरे लिए गौरव की बात है। मैं अपना वचन नहीं तोड़ सकता।”
शुक्राचार्य ने क्रोधित होकर वामन के कमंडल के जल छिद्र को बंद कर दिया। क्योंकि वैदिक संकल्प के लिए जल अति आवश्यक होता है, उन्होंने संकल्प बाधित करने का प्रयास किया।

वे सूक्ष्म रूप धारण कर कमंडल के जल मार्ग में प्रवेश कर गए और जल को रोक दिया। वामन ने इसे जान लिया और एक तिनका उठाकर कमंडल के छिद्र में प्रविष्ट कर दिया। तिनका शुक्राचार्य की आंख में जाकर लग गया और उनकी एक आंख फूट गई, जिससे वे अंधे हो गए।
वामन का विराट रूप और तीन पग भूमि (Vamana’s Cosmic Form)
जैसे ही बलि ने संकल्प लिया, वामन ने अपना विराट रूप धारण कर लिया। उनका शरीर आकाश को छूने लगा:
- पहले पग में उन्होंने पूरी पृथ्वी को नाप लिया।
- दूसरे पग में आकाश और स्वर्गलोक को।
- अब तीसरे पग के लिए कुछ बचा ही नहीं।

भगवान ने बलि से पूछा:
“अब तीसरा पग कहाँ रखूँ, राजन्?”
बलि ने विनम्रता से उत्तर दिया:
“प्रभु, तीसरा पग आप मेरे मस्तक पर रखें।”
बलि का समर्पण और भगवान की कृपा (Bali’s Surrender and Divine Grace)
भगवान ने तीसरा पग उसके सिर पर रखा और उसे पाताल लोक का स्वामी बनाया। लेकिन बलि की भक्ति, दानशीलता और समर्पण से प्रसन्न होकर उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया:
“हे बलि, भविष्य में तुम इंद्र पद के अधिकारी बनोगे। जब तक तुम चाहो, मैं स्वयं पाताल में तुम्हारे द्वारपाल के रूप में रहूँगा।”
आज के समय में वामन अवतार की शिक्षा (Modern Relevance of the Vamana Avatar)
- अहंकार चाहे सच्चाई के साथ भी हो, विनम्रता के बिना अधूरा है।
- दान अगर प्रदर्शन या स्वार्थ के साथ हो, तो उसका मूल्य घट जाता है।
- भगवान की योजना हमसे अधिक व्यापक और गूढ़ होती है।
- सच्चा समर्पण केवल हार नहीं, बल्कि मोक्ष की ओर एक कदम होता है।