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कौए और हंस की कहानी (Crow and Swan Story Panchtantra)

Crow and Swan Story Panchtantra – प्रस्तावना

पंचतंत्र की कहानियाँ केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि हर उम्र के व्यक्ति के लिए गहरी सीख छुपाए होती हैं। आज की भागदौड़ और सोशल मीडिया से भरी दुनिया में हम अक्सर दूसरों की ज़िंदगी को देखकर अपनी तुलना करने लगते हैं। इसी मानसिकता पर एक पुरानी लेकिन आज भी प्रासंगिक कहानी है – कौए और हंस की कहानी।

सुंदर झील और दो अलग-अलग पक्षी

बहुत समय पहले एक शांत और सुंदर झील के किनारे एक सफेद हंस रहा करता था। उसका चमकता हुआ शरीर, शांत स्वभाव और गरिमामयी चाल देख कर हर पक्षी उसकी तारीफ़ करता। वहीं पास के ही एक पेड़ पर एक कौआ रहता था। वह चालाक था, होशियार था, पर उसका मन कभी संतुष्ट नहीं रहता।

जब उसने हंस को देखा तो पहली बार उसे अपने काले पंखों से नफ़रत हो गई।

“लोग हंस की कितनी तारीफ़ करते हैं। अगर मैं भी वैसा दिखूं, तो शायद मुझे भी वही सम्मान मिलेगा।”

तुलना से उपजा असंतोष

कौआ अब खुद को हंस से कम समझने लगा। वह भूल गया कि उड़ने की ताकत, शिकार ढूंढने की चतुराई, मौसम को समझने की क्षमता – ये सब उस पर भगवान का उपहार हैं। उसकी पूरी नज़र अब सिर्फ़ हंस की सुंदरता पर थी।

असफल प्रयोग – जब दिखावे में सब गंवाया

कौए ने अपने पंखों पर सफेद मिट्टी पोती, तालाब में जाकर धीरे-धीरे चलने लगा, और अपनी आवाज़ को धीमा करने की कोशिश की। कुछ देर के लिए उसे लगा कि वह भी अब हंस जैसा हो गया है।

लेकिन जब वह तालाब में गया, बाकी पक्षियों ने उसका मजाक उड़ाया। हंस ने भी मुस्कुराकर कहा:

“तुम जैसे हो, वैसे ही अद्भुत हो। लेकिन अपने आप को छोड़कर किसी और जैसा बनने की कोशिश करोगे तो अपनी असली खूबियाँ भी खो दोगे।”

कौए की मिट्टी धुल गई, आवाज़ लौट आई, चाल फिर से फुदकती हो गई। लेकिन अब उसके अंदर एक नई समझ थी।

आज की दुनिया में कहानी का मतलब

आज के समय में जब इंस्टाग्राम, फेसबुक या यूट्यूब पर हम दूसरों की जिंदगी के खूबसूरत पल देखकर अपनी तुलना करने लगते हैं, तब यह कहानी हमें याद दिलाती है:

  • हर किसी की खूबसूरती उसके स्वाभाविक रूप में होती है।
  • तुलना हमेशा अंदर से कमजोर बनाती है।
  • आत्म-सम्मान तब आता है जब हम खुद को पूरी तरह स्वीकार करते हैं।

Crow and Swan Story Panchtantra – Moral – कहानी की सीख

“दूसरों की तरह बनने से बेहतर है, खुद के सबसे अच्छे रूप में जीना।”

आभार और आकर्षण का नियम (Law of Attraction)

जब हम अपने जीवन में जो कुछ है, उसके लिए आभार व्यक्त करते हैं, तो हम अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। यह ऊर्जा ब्रह्मांड को एक संदेश देती है कि हम और अधिक पाने के लिए तैयार हैं। कौए ने जब खुद को स्वीकार किया, तब उसके भीतर एक नया आत्मविश्वास और संतोष आया – यही है आकर्षण का नियम।

“जैसे विचार, वैसा आकर्षण। जैसे भाव, वैसा परिणाम।”

बच्चों और बड़ों के लिए सीख:

  • आत्म-स्वीकृति
  • तुलना से दूर रहना
  • आत्म-सम्मान की समझ
  • दिखावे से नुकसान
  • आभार और आकर्षण का नियम

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