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सूफी कहानी – योद्धा और उसका गुस्सा

Sufi Story in Hindi – Yoddha Ka Gussa – सूफियों की दुनिया से एक अनमोल कथा

सूफी कहानियाँ अपने सरल लेकिन गहरे संदेशों के लिए जानी जाती हैं। ये सिर्फ धर्म या परंपरा की बातें नहीं करतीं, बल्कि आंतरिक यात्रा और आत्मा की ऊँचाई की ओर इशारा करती हैं। आज की यह कहानी हमें सिखाती है कि असली योद्धा वो होता है जो अपने भीतर की लड़ाई जीतता है।

युद्ध और इरादा

बहुत समय पहले की बात है। अल-हसन, एक प्रसिद्ध सूफी योद्धा, जो अपनी वीरता, संयम और आध्यात्मिकता के लिए दूर-दूर तक जाना जाता था। युद्ध में वह निडर था, लेकिन उसके दिल में हमेशा ईश्वर का भय और न्याय का भाव रहता था।

एक बार उसका राज्य एक अन्य लोभी सेनापति द्वारा हमला किए जाने की स्थिति में आ गया। अल-हसन ने युद्ध में जाने का निर्णय लिया — लेकिन सिर्फ अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए, न तो अहंकार से और न ही लालच से

आमना-सामना – शक्ति और नम्रता की परीक्षा

युद्ध के दौरान, अल-हसन का सामना एक क्रोधित दुश्मन सैनिक से हुआ। लंबा, ताकतवर, और क्रोध से भरा वह सैनिक शेर की तरह गुर्रा रहा था।

दोनों के बीच एक तीव्र युद्ध छिड़ा। तलवारें टकराईं, आवाजें गूंज उठीं। लेकिन अंततः, अल-हसन की चालाकी और धैर्य ने जीत हासिल की।

वह सैनिक ज़मीन पर गिर पड़ा — निहत्था और पराजित।

एक क्षण का तूफ़ान

जैसे ही अल-हसन ने अपनी तलवार उसकी गर्दन पर रखी, अचानक वो सैनिक क्रोध में आकर उसके चेहरे पर थूक देता है।

वो क्षण… ठहरा हुआ, गर्म और अपमान से भरा।

अल-हसन की आँखों में गुस्से की एक चिंगारी कौंध गई। उसका चेहरा तमतमा गया। चारों ओर सन्नाटा छा गया।

लेकिन फिर…

आत्मा की गहराई – तलवार नीचे रखी गई

अल-हसन ने अपनी आँखें बंद कीं, एक गहरी साँस ली… और फिर अपनी तलवार नीचे कर दी

सैनिक चकित रह गया।

“तुमने मुझे क्यों छोड़ा?” उसने हकलाते हुए पूछा।
“क्या मेरा अपमान काफी नहीं था तुम्हारे क्रोध को भड़काने के लिए?”

सूफी उत्तर – एक योद्धा का आत्मज्ञान

अल-हसन शांत स्वर में बोला:

“जब तक मैं तुम्हारे साथ ईश्वर की राह पर लड़ रहा था, मेरा उद्देश्य पवित्र था।
लेकिन जब तुमने मुझ पर थूका, मेरे भीतर गुस्सा जागा।
अगर मैं तुम्हें उस क्षण मारता, तो वो न्याय के लिए नहीं, अपने अपमान के बदले के लिए होता।
और मैं अपने गुस्से या अहंकार के लिए तलवार नहीं उठाता।
मेरे गुरु ने मुझे सिखाया है – ‘जो अपने भीतर के शत्रु को जीत लेता है, वही असली विजेता है।’”

हृदय परिवर्तन

वो सैनिक जो अब तक अपने बल पर गर्व करता था, टूट गया।
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

“तुमने मुझे हराया नहीं…
तुमने मुझे बदल दिया।

वो सैनिक अल-हसन के चरणों में गिर पड़ा।
उसने युद्ध छोड़ दिया और आगे चलकर खुद एक सूफी बन गया।

Sufi Story – Yoddha ka Gussa – कहानी से सीख

  • गुस्सा क्षणिक है, लेकिन उसका परिणाम जीवनभर रहता है।
  • ताकत तलवार में नहीं, आत्मा की शांति में है।
  • जब हम अहंकार को हराते हैं, तभी सच्ची जीत होती है।

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