दो बैलों की कहानी – Panchtantra Ki Seekh Bhari Kahani
बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में दो बैल रहते थे – नंदू और बिल्लू। दोनों अच्छे मित्र थे, दिन भर साथ में खेतों में काम करते, और रात को एक ही गोशाले में आराम करते।
एक दिन क्या हुआ?
एक व्यापारी गांव में आया और उसने बिल्लू को खरीद लिया। नंदू अकेला हो गया, पर बिल्लू को भी अपने मित्र की बहुत याद आती थी। व्यापारी ने बिल्लू को दूसरे गांव ले जाकर उससे रोज़ भारी सामान ढुलवाने का काम लिया।
एक दिन रास्ते में…
बिल्लू व्यापारी का सामान लेकर जा रहा था, तभी रास्ते में कीचड़ भरा एक तालाब आया। बिल्लू वहीं रुक गया – न चल पा रहा था, न पीछे हट पा रहा था। व्यापारी बहुत गुस्से में चिल्ला रहा था, लेकिन कोई हल नहीं निकला।

नंदू की वापसी
उसी समय, नंदू किसी तरह से वहां आ गया। उसने देखा कि बिल्लू परेशानी में है। उसने बिना सोचे-समझे कीचड़ में कूदकर बिल्लू की मदद की, और दोनों ने मिलकर गाड़ी को बाहर निकाला।
व्यापारी हैरान रह गया
जब व्यापारी ने देखा कि दोनों बैल साथ मिलकर इतनी मेहनत कर रहे हैं, तो उसे समझ आ गया कि—
“जहां मित्रता और एकता होती है, वहां हर समस्या हल हो जाती है।”
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
Panchtantra Ki Kahani – ✅ Moral of the Story (सीख):
“सच्ची मित्रता और एकता से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है।”